पंथिया मधुर में वह प्रवेशआया
एक नये युग का। राष्ट्र की भरोसे
उसके साथ, शुभकामनाएं ।
प्रजातियों का मूल ,
उसे
अपने निरंतरता में
मान्य ।
प्रतिष्ठा का दिन,
उसके मौजूदगी में
शक्ति ।
मैथिली कविताएँ: अलबेला रघुवर
यह एक प्रेम गाथा है जो लोगों की जान में रही है। अंदर अलबेला और रघुवर हर किसी का प्रतिज्ञा दिखाया गया है। यह गाथा लोगों को आज भी प्रेरित करती है और उनकी दृष्टि को बदलती है।
जीवन का संगीत: अलबेला रघुवर आया जी
पृथ्वी दर्द से भरपूर है, परंतु हर कहीं जीवित ऊर्जा का भाव भी झलकता है। इस जीवन का संगीत अलबेला रघुवर आया जी है - एक ऐसा मंच जहां खुशी और दुःख दोनों को गले लगाया जाता है। धरती पर हर चीज में नृत्य read more है, सभी पत्ती एक कथा सुना रही है।
यह संगीत अपने दिलों के भीतर गूंजता है। यह हमें याद दिलाता है कि हम अकेले नहीं हैं। हमें सांत्वना देती है और हमें आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करती है। अलबेला रघुवर आया जी का संगीत जीवन को और भी खूबसूरत बनाता है।
विवाह का रंग, अलबेला रघुवर
यह एक अनोखी रंग है जो हमें । यह विवाह का अहसास है जो किसीके पथ को बदलता।
यह अलबेला रघुवर की यात्रा है जो हमें सिखाताहै|}।
एक पारंपरिक मैथिली गीत: अलबेला रघुवर आयो जी
यह गाना भारतीय सांस्कृतिक परंपरा का एक भाग है। यह गाना दोपहर में गायी जाती है। इस गीत की लयशांत होती है और भाषामुक्त होती है। यह गाना युवाओं द्वारा प्रिय होता है।
- यह गीतदिल की बातें व्यक्त करता है ।
- यह गीत पारंपरिक वाद्ययंत्रों के साथ गाया जाता है।
- यह गीतदेशभक्ति का प्रतीक है ।
इस गीत को अपने मूल्यों को बनाए रखते हुए प्रस्तुत किया जाता है।
मैथिली विवाहों की भावना: अलबेला रघुवर आयो जी
बिहार के मैथिली समाज में, शादी का दिन एक अद्भुत और खूबसूरत होता है। इस दिन पर घरों में हर्ष का माहौल रहता है। लड़कियों की ओर से जयमाता को बुलाया जाता है, और रघुवर आयो जी के साथ ही सजावट का आयोजन होता है। इस दिन, सब लोग प्रेम से भरे रहते हैं।
- मैथिली विवाहों में प्रचलित गीतों और नर्तनों का दर्शन होता है।
- विवाह के दिन, दुल्हन को लाल रंग की साड़ी पहनी जाती है।
- मैथिली समाज की सांस्कृतिक विरासत रघुवर आयो जी के साथ प्रकट होती है।